सोमवार, 31 मार्च 2014

शेर पलायन नहीं करते , पलायन तो कुत्ते करते हैं , और वर्तमान में पलायन करते पिल्लों की दिशा बतला रही है कि पलायन करने वाले संयुक्त प्रगत्तिशील गठबंधन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ लुढ़क रहे हैं l

शेर पलायन नहीं करते , पलायन तो कुत्ते करते हैं , और वर्तमान में पलायन करते पिल्लों की दिशा बतला रही है कि पलायन करने वाले संयुक्त प्रगत्तिशील गठबंधन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ लुढ़क रहे हैं l 

 राष्ट्र के लोकतांत्रिक वरीयताक्रम में अभी भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार नमो नरेंद्र भाई मोदी सर्वोच्च पर अर्थात सबसे ऊपर हैं L उनसे जनअपेक्षायें भी सर्वाधिक हैं l रोमकन्या पुत्र आऊल उर्फ राहुल बनाम नमो उर्फ नरेंद्र मोदी में नमो बेहतर विकल्प हैं l संकल्प से तो क्रांतियाँ होती हैं लोकतंत्र में तो बेहतर विकल्प ही देखना उत्तम होता है  l इसीलिए भारतीय जनता की निगाहें छद्म स्वाधीन भारतवर्ष में पहली बार चुनाव से पूर्व ही नमो में प्रधानमंत्री के लिए बेहतर विकल्प महसूस कर उनके पीछे गोलबंद हो रही है l ऐसा भारतवर्ष की लोकतान्त्रिक इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ कि किसी एक व्यक्ति के पीछे चुनाव के पूर्व ही प्रधानमंत्री पद हेतु ऐसी लहर भारतवर्ष में उठती दिखाई दी हो l यह सर्वविदित तथ्य है कि शेर पलायन नहीं करते , पलायन तो कुत्ते करते हैं , और वर्तमान में पलायन करते पिल्लों की दिशा बतला रही है कि पलायन करने वाले संयुक्त प्रगत्तिशील गठबंधन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ लुढ़क रहे हैं l कुछ ऐसी ही राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में लुढकते हुए पहुँच गए सबरी से सांस्कृतिक सरोकार रखने वाली भारतीय जनता पार्टी में साबिर अली ? पहले तो भाजपा में साबिर का स्वागत किया गया लेकिन शीघ्र ही सबरी भक्तों को अपनी गलती समझ में आ गई और इसके विरूद्ध में पार्टी में आवाज उठते देख भारतीय जनता का सब्र टूटने के पूर्व ही भाजपा ने साबिर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखला दिया गया और पार्टी ने अपनी गलती सुधार ली l चलो भाजपा ने अच्छा किया , वरना भर्त्तीय जनता के -

संकेत सहम जाते  हैं !
संभावना सकते में आ जाते हैं !
संशय जग जाते  हैं !!
माना कि सत्ता के कंटकाकीर्ण मार्ग पर दौड़ नंगे पाँव नहीं होती, जूते पहनने ही पड़ते हैं परन्तु यह स्मरण रखना ही पड़ता है कि यह जूते जीतने के बाद कहीं टोपी न बन जाएँ ? सत्ता में आते - आते सत्ता की गाड़ी के टायर कहीं स्टेयरिंग न बन जाएँ ? "

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