गुरुवार, 9 जनवरी 2014

मतदाताओं विशेषकर युवाओं को आकर्षित करने में जुटी भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य राजनैतिक पार्टियाँ

मतदाताओं विशेषकर युवाओं को आकर्षित करने में जुटी भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य राजनैतिक पार्टियाँ

गुमला जिले में अर्थात झारखण्ड प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों के लिए पूर्णतः सुरक्षित महत्वपूर्ण संसदीय निर्वाचन क्षेत्र लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में आगामी लोकसभा चुनाव एवं विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टियों के साथ ही चुनाव लड़ने की इच्छुक अन्य क्षेत्रीय दल मतदाताओं को विशेषतः युवाओं को अपने-अपने पक्ष में करने की मुहिम में जुट गए हैं। वैसे तो राज्य और देश के अन्य राज्यों की भांति ही आसन्न लोकसभा चुनाव का प्रभाव गुमला जिले अर्थात लोहरदगा संसदीय निरेआचन क्षेत्र के सभी सभी आयु वर्ग अर्थात बड़े - बुजुर्ग , अधेड़ , युवा सभी उम्र समूह के लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है , परन्तु आसन्न लोकसभा चुनाव का युवाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ता हुआ नजर आ रहा है और युवाओं की नब्ज को टटोलने के लिए भाजपा व कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों ने अपने युवा परिषदों , युवा शाखाओं , यूथ विंग को इस काम में लगा दिया है।

माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमन्त्री पद के घोषित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की दिन दूनी रात चौगुनी की दर से बढती लोकप्रियता व युवाओं में बढ़ते क्रेज के आगे कांग्रेस राहुल के क्रेज को युवाओं के बीच पहुंचाकर भाजपा की घेराबंदी में लग गई है। वहीं भारतीय जनता पार्टी भी युवाओं के बीच जाकर कांग्रेस की घेराबंदी करती हुई नजर आ रही है। जिला और राज्य स्तर पर विभिन्न आयोजनों से पार्टी के नीति , सिद्धांत व कार्यक्रमों के साथ ही सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रहित के प्रतिकूल कार्यों व असफलताओं को बतलाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में जोड़े रखने की कोशिश में लगी हुई है । यहाँ भी नरेन्द्र मोदी के प्रति दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। हाल में उनतीस दिसंबर 2013 को झारखण्ड की राजधानी रांची में संपन्न नरेन्द्र मोदी की विजय संकल्प रैली में शामिल होने के लिए गुमला , लोहरदगा जिला के साथ ही झारखण्ड के सभी जिलों सहित पडोसी राज्यों छत्तीसगढ़ , ओड़िसा ,बिहार आदि से भी सैंकड़ों सवारी वाहनों और निजी वाहनों से नमो भक्त रांची पहुंचे थे। लोहरदगा , लातेहार , गुमला, सिमडेगा , पलामू आदि से हजारों लोग मोटर साइकिल से भी रैली में शामिल होने के लिए गए थे । गुमला ,लोहरदगा ,  रांची आदि जिलों से हजारों लोग साइकिल की सवारी कर नमो को सुनने व देखने के लियें गए थे । छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , बिहार से भी सैंकड़ों वाहनों पर सवार लोग रांची पहुँचे थे । सचमुच ! उनतीस दिसंबर के दिन तो गुमला , लोहरदगा ,रांची समेत अन्य पडोसी जिलाएँ नमो मय हो रही थी ।

उधर लोहरदगा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद सुदर्शन भगत पार्टी और अपनी जीत कों पुनः सुनिश्चित करने के लिए इस दौरान अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के सिसई , गुमला , बिशुनपुर , लोहरदगा और रांची के मांडर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रो में लगातार सक्रिय रहकर लोगों के सामाजिक - सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही दुःख - सुख में भी शामिल होकर अपने को जनता से सीधे रूप से जोड़े रहने का भरसक प्रयत्न किया है । उनके समर्थकों का कहना है कि " समूचे संसदीय निर्वाचन क्षेत्र की जनता से जुडी मुद्दों , समस्याओं व मामलो को सांसद सुदर्शन भगत ने संसद के साथ ही अन्य समुचित मंचों पर उठाकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का हरसम्भव प्रयत्न किया है । संसद - मद की राशि को अपने क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों के सभी प्रखंडों में आवश्यकता के अनुरूप बिना जाति व समुदाय भेद के समान रूप से व्यय कर विकास कार्यों को नवीन गति प्रदान किया है । गुमला जिले के पौराणिक महत्व के प्राचीन धार्मिक पर्यटक स्थलों के बारे में संसद में प्रशन पूछकर जिले को नयी ऊंचाई तक पहुँचाने व लोगों को इस ओर भी आकर्षित करने का भरसक प्रयत्न किया है । उनके इस प्रयास के कारण गुमला के कई पुरातन स्थलों का कायापलट होने की नई उम्मीद जगी है । "

गुमला जिले व लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत फिलवख्त एकमात्र विधानसभा क्षेत्र गुमला विधानसभा क्षेत्र ही भाजपा के खाते में हैं , जहां से कमलेश उराँव विधायक है । विधायक कमलेश उराँव भी अपने क्षेत्र में नियमित रूप से भ्रमण व जनसंपर्क के माध्यम से भाजपा की नीतियों और सिद्धांतों व कांग्रेस सरकार की खामियों और उनके छाद्म्मधर्म निरपेक्ष कार्यों को रख जनता को सच से अवगत करा पार्टी को मजबूत करने के प्रयास में लगे हुए हैं ।विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र नगर पञ्चायत गुमला नगर पंचायत के साथ ही गुमला , डुमरी , रायडीह और चैनपुर प्रखंड क्षेत्रों के लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विधायक निधि की राशि को बेहतर ढंग से निर्विवाद रूप से खर्च करने की ईमानदार कोशिश कमलेश उराँव ने किया है , जिसका लाभ निश्चित रूप से भाजपा को आसन्न लोक व विधानसभा चुनावों में मिलने की संभावना क्षेत्र के राजनितिक विश्लेषकों के द्वारा अभी से ही की जा रही है।

प्रदेश के निर्देशानुसार जिले में भाजपा जहां युवाओं को अपनी तरफ जोड़ने के लिए मतदाता सम्मेलन , युवा मतदाता शिविर आयोजित कर रही है, वहीं कांग्रेस विधानसभाओं में व्यापारी, पत्रकारों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ-साथ युवक  दलों से अपनी नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए सुझावों व आकलनों को एकत्रित करने में जुटी है। लोकसभा चुनाव दोनों ही राजनैतिक दलों के लिए मुख्य मुद्दा बना हुआ है और इस चुनाव को जीतने के लिए बिना युवाओं के किसी भी राजनैतिक दल के लिए चुनाव जीतना असंभव नजर आता है। इसी रणनीति के तहत भारतीय जनता पार्टी का युवा मोर्चा जहां प्रदेश की भांति जिले में पंचायत व प्रखंड स्तरीय सम्मेलनों , मतदान केंद्र व्यवस्थापन , मतदाता सूची आदि की तैयारी में जुटा है, वहीं जिला , राज्य व राष्ट्रीय स्तर की विविध कार्यक्रमों के तहत भी युवाओं को जोड़ने की रणनीति तैयार की जा चुकी है। इसके अलावा कतिपय अन्यान्य कार्यक्रमों के माध्यम से जिले सहित सम्पूर्ण लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में युवाओं को जोड़ने का कार्यक्रम तय किया गया है।

उधर भाजपा की प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस में सक्रियता के नाम पर भूतपूर्व सांसद रामेश्वर उराँव की क्षेत्र में सक्रियता पूर्व की तरह ही वर्तमान में भी कम ही है । चुनाव हारने के पश्चात् वे अब अनुसूचित जनजाति आयोग के केन्द्रीय चेयरमैन बन बैठे हैं और उनका पुलिस अफसरी रूतबा उनकी सरकारी सेवाकाल की तरह आज भी बदस्तूर कायम है । जिसके कारण उनकी पांच वर्षों की सांसदी काल के बाद पांच वर्ष के करीब की अवधि पुनः बीत जाने के बाद भी गिने - चुने कांग्रेसी कार्यकर्ता के अतिरिक्त कोई अन्य उनके समक्ष फटक तक नहीं पाता। स्वयं कांग्रेस पार्टी के ही कुछ पुराने कांग्रेसी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि " वे सरकारी वाहनों के काफिले से जिला मुख्यालय में यदा - कदा आते हैं , अनुसूचित जनजाति आयोग से सम्बंधित मामलों को निबटाते हैं , अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद् की बैठक में भाग लेते हैं । उन कार्य्क्रमों में उनकी अगवानी के लिए आये आये आदिवासी कांग्रेसियों से मिलते हैं और सरकारी वाहन से फिर चले जाते हैं । "

लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र के भूतपूर्व विधायक अब कांग्रेस के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत प्रदेश अध्यक्षत्व के कार्य में मशगुल हैं तो  सिसई विधानसभा क्षेत्र की विधायक शिक्षा मंत्री गीता श्री उराँव अपने राजनौतिक क्रिया - कलापों के कारण स्वयं अपनी ही पार्टी की कोपभाजन बनने की डर से सहमी हुई हैं । बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के समन्वय स्मिति के प्रमुख और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने भी उनकी कार्य प्रणाली के प्रति नाराजगी जतलाई है और शिक्षक भर्ती परीक्षा के बारे में उनकी भाषा सम्बन्धी टिपण्णी पर कांग्रेस के राज्य समिति के रूख सेनझारखंडी शिक्षा मंत्री की शिट्टी -पिट्टी गुम है ।

झारखण्ड की शिक्षा मंत्री गीता श्री उराँव के उस तर्क  को आखिर झारखण्ड खाङ्ग्रेस कमिटी ने ख़ारिज कर उनकी राजनैतिक शैली को गहरा झटका दिया जिसमे श्री उराँव ने कहा था कि भोजपुरी और मगही भाषाएँ नहीं बल्कि बोलियाँ हैं तथा समिधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं हैं । इसलिए भोजपुरी व मगही को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) में शामिल करना असंवैधानिक है । शिक्षा मत्री के वयान अनुशासन हीनता मानते हुए खाङ्ग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत नें मगलवार को कहा कि नीतिगत मामालों पर पहले पार्टी और सरकार ले स्तर पर मामला सुलझा लें इसके बाद कोई वयान दें । शिक्षा मंत्री के वयानबाजी से खाग्रेस को क्षति हो रही है। उनकी इस पार्टी विरोधी रवैये की जानकारी आलाकमान को दी जाएगी ।हो सके तो उनपर कारवाई भी होगी । उधर पार्टी के इस रूख से गीताश्री उराँव की शिट्टी - पिट्टी गुम हो जाने की खबर है और अपने विधानसभा क्षेत्र सिसई में लगातार सक्रियता दिखलाने वाली अब वहाँ आने से कतराने लगी हैं । कहा जा रहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में निवास करने वालें भोजपुरी व मगही बोलने वाले तथा अन्यान्य सदान कांग्रेसियों से आँखें मिलाने से शिक्षा मंत्री कतरा रही हैं ।उनकी कमी को क्षेत्र के प्रखंड अथवा जिलास्तरीय कार्यकर्त्ता पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं । कांग्रेस में चुनावों को लेकर वैसी कोई विशेष सक्रियता भी दिखाई नहीं दे रही , मानो लोकसभा चुनाव उनके लिए मेज पर तशतरी में सजा कर रखी कोई खाने की वस्तु है , जिसे जब चाहे आदेश दे वे अपनी इच्छानुसार सेवन कर सकते हैं  ।

वहीं आसन्न लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक ऑल झारखण्ड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) , झारखण्ड मुक्ति मोर्चा , झारखण्ड विकास मोर्चा आदि अन्य राजनितिक दल भी अपनी युवा शाखाओं अर्थात यूथ ब्रिगेड के माध्यम से अपनी पार्टी के झंडे के नीचे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी दल के प्रति युवाओं के झुकाव , युवाओं की भावनाओं का पत्ता लगाने अर्थात युवाओं का फीडबैक लेने के प्रयास में जुटी हुई है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें