मंगलवार, 14 जनवरी 2014

बिहार के नालंदा में प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले

बिहार के नालंदा में प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले

बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बाद एक और प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं। नालंदा जिले के एकंगरसराय के तेल्हाड़ा पुरातात्विक स्थल के उत्खनन के बाद यहां महाविहार के रूप में एक और प्राचीन विश्वविद्यालय का पता चला है। यहां के अवशेष नालंदा विश्वविद्यालय के समकक्ष लगते हैं। बिहार पुरातत्व निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने मंगलवार को बताया कि 2009 से तेल्हाड़ा पुरातात्विक स्थल की खुदाई हो रही है। उन्होंने कहा कि उत्खनन में मिले विश्वविद्यालय अवशेष बालादित्य के 45 फुट ऊंचे टीले की खुदाई में मिले हैं। उन्होंने बताया कि यहां तिलाधक (तेल्याढक) महाविहार के रूप में एक प्राचीन विश्वविद्यालय के अवशेष मिले हैं जो करीब एक किलोमीटर में फैला है।

उल्लेखनीय है कि नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय के बाद बिहार में यह तीसरे प्राचीन विश्वविद्यालय का पता चला है।  इतिहासकारों के मुताबिक चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी के अपने यात्रा वृतांत में तेल्याढ़क का जिक्र किया था, जिसमें करीब सात बौद्ध मठों और करीब 1000 बौद्ध भिक्षुओं के अध्ययन की जानकारी मिलती है।  तिलाधक विश्वविद्यालय में तीन मंदिरों का जिक्र है। इस विश्वविद्यालय में 1000 बौद्ध भिक्षु बैठकर मंत्रोच्चार और पूजा किया करते थे। खुदाई में एक विशाल लोर भी पाया गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि इस पर बैठकर भिक्षु प्रार्थना किया करते थे।

नालंदा विश्वविद्यालय की तरह यहां भी शिक्षकों के रहने के लिए छोटे-छोटे आवास प्राप्त हुए हैं।  गौरतलब है कि बिहार सरकार ने तेल्हाड़ा को पुरातात्विक स्थल घोषित कर रखा है तथा इसे पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही है। जानकारों का कहना है कि इस स्थल पर अभी चल रही खुदाई में अभी और प्राचीन अवशेष मिलने की संभावना है। जानकारों का मानना है कि आदंतपुरी और घोसरांवा में खुदाई होने से और भी विश्वविद्यालय के अवशेष मिल सकेंगे।

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