रविवार, 7 जुलाई 2013

स्वराज्य हमारा परम धर्म, परम कर्तव्य और परम पवित्र अधिकार है और हम भारतियों को उसे प्राप्त कर रहना है -अशोक "प्रवृद्ध"

स्वराज्य हमारा परम धर्म , परम कर्तव्य, और
परम पवित्र अधिकार है और हम भारतीयों को उसे प्राप्त कर रहना है
             अशोक "प्रवृद्ध"

भारतीय मित्रगण!
भारतीय स्वाधीनता- संग्राम के महायज्ञ में अपने
आपको स्वाहा करने वालों के प्रति नित्य-प्रति का हार्दिक
क्रांतिकारी अभिनन्दन अर्पित करते हुए हमें अपने मन में संकल्प
करना और अधिकाधिक संख्या में अपने संपर्क वालों को संकल्प
कराना हैं। हमारा यह दृढ़ संकल्प होना चाहिए कि जिस प्रयास
अर्थात स्वराज्य आर्य राष्ट्र संस्थापन कार्य में उस समय अर्थात
स्वाधीनता प्राप्ति काल में सफलता प्राप्त नहीं हो सकी थी,
उसको प्राप्त करने के लिए हम निरन्तर प्रयत्न करते रहेंगे।
परम्प्तिय मित्रवरों !
बड़ी कठिन घडी आन पड़ी है। इन विधर्मियों ,राष्ट्र्नाशकों के राज्य
में भारत,भारतीय और भारतीयता अर्थात हिन्दू (हिंदुत्व),हिंदी और
हिंदुस्तान पर निरंतर हमले बढ़ते ही जा रहे हैं । स्वराज्य परम-पवित्र
अधिकार है, जिसे प्राप्त करने के लिए प्रत्येक जाति को कटिबद्ध
रहना चाहिए। आर्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बी हिन्दुओं
को भी स्वराज्य स्थापना हेतु सदैव कमर कस तैयार रहना ही चाहिए।
साथ ही हमको अपना प्रयत्न ऐसे ढंग से चलाना चाहिए कि हम उन
भूलों की पुनरावृत्ति न कर सकें, जिनके कारण वह प्रयास असफल हुआ
था।अर्थात राष्ट्रविरोधी, धर्मघातकों, धर्मभ्रष्ट कुल्नाशकों को दूर
ही रख अपने लक्ष्य पर निरंतर आगे बढ़ना है ।

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